हरियाली हो गई
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फूल खिलें हैं अंगनवा हरियाली हो गई
प्रसन्नता से रूह मेरी मतवाली हो गई।
रंग बिरंगे फूल खूब उपवन में हैं खिले,
खुशियों भरा खजाना वाटिका में है मिले।
दुखी सी थी जो आत्मा वो सुहानी हो गई।
प्रसन्नता से रूह मेरी मतवाली हो गई।
शुद्ध वायु से तन मन है ऊर्जित हो गया,
तुलसी की बगिया से प्रफुल्लित हो गया,
ग्लोय सेवन से रोगी काया निरोगी हो गईं।
प्रसन्न्ता से रूह मेरी मतवाली हो गई।
अंगूरों की बेलें तल से छत पर चढ़ गई,
खट्टे मीठे आमों की खुश्बू सिर चढ़ गई,
फल खाने पतली देह शक्तिशाली हो गई।
प्रसन्नता से रूह मेरी मतवाली हो गई।
मनसीरत शीतल छाया में झूलता झूले,
ऑक्सीजन भी पूरी हर्सोउल्लास से खेले।
सुहावना है मौसम घर में दीवाली हो गईं।
प्रसन्नता से रूह मेरी मतवाली हो गई।
फूल खिलें हैं अंगनवां हरियाली हो गई।
प्रसन्नता से रूह मेरी मतवाली हो गई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(