हरियाली तीज
आज आई हरियाली तीज सखी री,
मन होवे आज प्रफुल्लित सखी री,
करुँ सोलह श्रृंगार जो पिया मन भाए,
सजी-धजी देख पिया मुस्काए सखी री,
रखकर व्रत माँगू आज तीज माता से,
सदा सुहागन वरदान सखी री।
पहनूँ हरी-भरी चूड़ियाँ आज सखी री,
माथे सजाऊँ माँग टीक सखी री,
गले में मोतियन हार मैं पहनूँ,
पाँव में पायल, बिछुए पहनूँ सखी री,
सुनहरी चमक रही ललाट पर बिंदी,
बनूँ आज मैं तीज सुन्दरी सखी री।
चल चले झूला झूलन आज सखी री,
पिया संग बढ़ाऊ आज पींग सखी री,
गाऊँ मैं सावन के गीत प्रीत के,
नाचूँ संग सखियन के आज सखी री,
प्रेम का प्रतीक है ये हरा-भरा सावन,
जाऊँ पिया बलिहारी आज सखी री।
घवेर, फेनिया और मिठाई सखी री,
बनाऊँ पकवान खीर-पुए सखी री,
मिठास से भर जाए सारा जीवन,
प्रभु से मेरी यही अरदास सखी री,
बायना दे पाँव लग सासू माँ के,
पाऊँ आज मैं ढेरों आशीर्वाद सखी री।
✍ माधुरी शर्मा मधुर
अंबाला हरियाणा।