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5 Sep 2024 · 1 min read

हरियाली की तलाश

हरियाली की तलाश

आसपास पर्यावरण की तलाश
अब मल नही है सब खल्लाश

पहाड़ खोदा निकल लिए सोना चांदी
हीरा मोती और जवाहरात
अब काहे की आस
कुछ नही है खास

समुन्दर के चट्टानों को खोदा
निकाल लिए पेट्रोल डीजल पैराफिन पदार्थ
अब कुछ बचा नही है सार
खाली है टंकी अब धक्का मारो यार

प्रकृति से संतुलन बनाना है तो
पौधरोपण अपनाना है अनगिनत पौधे लगाना है।
धरती को फिर से सजाना है।
नई पीढ़ी को बाग बगीचा दिखाना है।

सूरज को देखो
बहुत तपता है
इधर पेट्रोल,कोयला बहुत खपता है।
जब जल का स्तर घटता है
सबका का जीवन घटता है।
यह सब देख कविराज संतोष कुमार मिरी को बहुत अखरता है।

रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
रायपुर छत्तीसगढ़।

Language: Hindi
40 Views

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