हरियाली की तलाश
हरियाली की तलाश
आसपास पर्यावरण की तलाश
अब मल नही है सब खल्लाश
पहाड़ खोदा निकल लिए सोना चांदी
हीरा मोती और जवाहरात
अब काहे की आस
कुछ नही है खास
समुन्दर के चट्टानों को खोदा
निकाल लिए पेट्रोल डीजल पैराफिन पदार्थ
अब कुछ बचा नही है सार
खाली है टंकी अब धक्का मारो यार
प्रकृति से संतुलन बनाना है तो
पौधरोपण अपनाना है अनगिनत पौधे लगाना है।
धरती को फिर से सजाना है।
नई पीढ़ी को बाग बगीचा दिखाना है।
सूरज को देखो
बहुत तपता है
इधर पेट्रोल,कोयला बहुत खपता है।
जब जल का स्तर घटता है
सबका का जीवन घटता है।
यह सब देख कविराज संतोष कुमार मिरी को बहुत अखरता है।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
रायपुर छत्तीसगढ़।