हरिणी छंद
आधार छन्द- “हरिणी” (मापनीयुक्त वर्णिक)
वर्णिक मापनी- लगाल लगाल लगाल लगा (11 वर्ण)
अथवा- लगा ललगा ललगा ललगा
ध्रुव शब्द- “मन” (छन्द में कहीं भी आ सकता है)
भजे मन मोहन साँवरिया।
झरे रस सावन भादरिया।।
सुलोचन रुक्मणि नैन मिले।
वियोगन ताप वियोग झले।।
सहूँ उर टीस सखी तब से।
मिले दृग केशव से जब से।।
हुई नटनागर जोगन मैं।
बनी मुरली मनमौजन मैं।।
जलूँ बन दीप लडूँ तम से।
झरे नयना बदरा झम से।।
नहीं चित को अब चैन पिया।
भयी अब नागिन रैन पिया।।
लगे अब बैरन ये सखियाँ।
बनीं सब बाबुल की अँखियाँ।।
मिलूँ विधि कौन कहो मितवा।
बात मन मौन करो मितवा।।
नीलम शर्मा ✍️