हरिगीतिका
जगत माँ पधारे घर नौ दिन ,भक्तों की सुनती है
विनय भाव से माँगते जो हम , पूरी वो करती है
नमन हम करे शीश झुका कर , मेरा मान सजाती
चरण में रहे हम उसके नत , सारे काम बनाती
जगत माँ पधारे घर नौ दिन ,भक्तों की सुनती है
विनय भाव से माँगते जो हम , पूरी वो करती है
नमन हम करे शीश झुका कर , मेरा मान सजाती
चरण में रहे हम उसके नत , सारे काम बनाती