हरिगीतिका छंद
हरिगीतिका छंद = 16+12=28 मात्रा
हरिगीतिका हरिगीतिका हरि , गीतिका हरिगीतिका ।।
११२१२ ११२१२ ११ , २१२ ११२१२ = 28
हरिगीतिका छंद , (यथावत )
प्रभु आपका जब नाम लेकर , सोचता मन छंद है |
इस लोक में तब देखते जन , आप ही रवि चंद है ||( १)
प्रभु आपका हरि नाम लेकर , सोचते जब कर्म है |
तब आपकी सब देन पाकर , मानते सच धर्म है ||(२)
चमकें सदा अब भाल भारत, कर्म का सद् ज्ञान हो |
जिसमें दिखे सुख भारती यश, धर्म से जन गान हो || (३)
प्रभु आप ही जब राम होकर , मानते जग धाम है |
तब धाम के उस राम को हम ,जानते सुख नाम है ||(४)
© सुभाष सिंघई
एम•ए• हिंदी साहित्य, दर्शन शास्त्र
जतारा (टीकमगढ़) म०प्र०
आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से छंद को लिखा है , वर्तनी व कहीं मात्रा दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें
सादर