हरदा अग्नि कांड
भ्रष्टाचार और गैर जिम्मेदारी का उठ गया पर्दा
आज अचानक भीषण अग्नि से दहल गया मेरा हरदा ।
पेट की आग शांत करने निकले मजूरो को क्या मालूम
फैक्ट्री की भयानक आग उनसे जीत जाएगी ।
रोज की तरह आवागमन करने वाले पथिको को
क्या पता था कि आज यहां से गुजरने पर
अग्नि परीक्षा देते हुए सदगति को प्राप्त होना है ।
शब्द ही नही है बयां करने को वो दारुण मंजर
कुछ पल पहले बड़ा कारखाना था वो
अब तब्दील हो गया जैसे भयावह खंडहर ।
ताउम्र गुजर जाती है एक आशियाना बनाने में,
तुम्हे जरा भी दया नही आई उसे जलाने में ।
एक बड़े से धुंए के गुबार ने अपने आगोश में
छुपा लिया था मेरे ह्रदय नगरी के
एक बड़े से हिस्से को ।
आज विराट अग्नि से दहल गया मेरा ह्रदय नगरी हरदा ।।