हरजाई
हमने तुम्हें दिल दिया नगीने की तरह ,
तुमने उसे तोड़ दिया शीशे की तरह ।
अब तुम्हें नादान कहें या कहें बेवफा,
तोहफे के साथ नहीं करते इस तरह।
शीश टूटता तो जरूर आंखों में चुभता,
मगर तुम्हें हमारा प्यार चुभा इस तरह ।
बड़ी उलझन में है तुम्हारे इस बर्ताव पर ,
दोस्ती तो नहीं ये ये है दुश्मनी की तरह ।
तुमने तो कभी इंकार भी नही किया था,
और इकरार भी नहीं, समझें किस तरह !
आखिर तुम्हारे सीने में दिल है भी या नहीं,
होता तो जरूर धड़कता मेरे दिल की तरह ।
तुम पत्थर की मूरत से बढ़कर कुछ नहीं,
पत्थरों से मुहोबत हो सकती है किस तरह ।
खैर ! तुमसे कोई उम्मीद करना बेकार है ,
तुम ये नाजुक जज्बे समझोगे किस तरह ।
मगर हमारा जो नुकसान हुआ उसका क्या!
खुदा करे तुम्हारा भी दिल टूटे इसी तरह ।
तब तुम्हें समझ में आएगा दर्द क्या होता है ?
जब प्यार में धोखा खाओगे हमारी तरह ।
अलविदा ! अब हमारी राहें अलग होती हैं,
भुला देंगे तुम्हें हम बुरे सपने की तरह ।