हरगिज़ नहीं
रोक ही लिये जाने चाहिए,
नजर दूसरों पर रखने वाले,
भ्रमित रहते हैं, भ्रम पैदा करते हैं,
न हासिल मुकाम करने वाले,
…….
पहुंच जाओगे तुम कैसे,,,
इसका पूरा इंतजाम हैं,,
तुम्हारे लिये धर्म है !
धार्मिकता निभाओ !!
……..
उलझन दूर करने वाले,
खुद भटकाव पैदा करते है,
शिकायतें तुम्हें खुद से है,
खेल खेला खलता ख्वाब जिसका,
वो तुम्हें जीने देंगे .।।।
……..