हम
🦚
हम
*****
ढेर पर बारूद के हम आज सब आसीन हैं,
यूँ लगे जैसे प्रलय के खेल में तल्लीन हैं,
एक चिंगारी जरा सी लग गयी जो भूल से,
तो पता हम को लगेगा बुद्धि से हम हीन हैं ।
०
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🌵🌵🌵
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हम
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ढेर पर बारूद के हम आज सब आसीन हैं,
यूँ लगे जैसे प्रलय के खेल में तल्लीन हैं,
एक चिंगारी जरा सी लग गयी जो भूल से,
तो पता हम को लगेगा बुद्धि से हम हीन हैं ।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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