हम
ना जाने कैसे लोग है यहाँ,
जो भर -भर प्याले पीते हैं ।
एकबार पिये थे हम भी
कभी अब तक बहकते रहते हैं ।।
खामोश हैं हम हमेशा से
शिकवा कभी नहीं करते हैं।
इसका मतलब यह तो नहीं
हम मौसम की तरह बदलते हैं।।
अर्से से बेखुदी का आलम है,
ना जाने क्या क्या करते हैं।
भीड़ मे तन्हा रहते हैं और,
अकेले मे बाते करते हैं ।।