हम हिंद के है
🔥हम हिंद के है🔥
न थे वे मनीषी , न बरगलाए गए थे।
न आए कहीं से, न भगाए गए थे।।
वे थे अपने घर में, था अपनो का साया।
लुटेरों का डर ,था जो बाहर से आया।।
ये डर धीरे धीरे , लहू में समाया।
वो खंजर का डर ,था जो कायर बनाया।।
ये शमशीर के डर ने, क्या कर दिखाया।
कटाना था गर्दन , सो खतना कराया।।
फेंको ये शम्शीर, ये खंजर हटाओ।
भरो इनमें जुर्रत, डर को भगाओ।।
अगर चाहते हो, ये हों घर में वापस।
मेरे दोस्तो राजा ” योगी ” बनाओ।।
🔥 संजय 🔥