हम स्वान नहीं इंसान हैं!
वफ़ादारी की उपमा हो क्या?
इसका होता कैसे सम्मान हैं।
क्योंकि हम स्वान नहीं इंसान हैं।।
आपदाओं विपदाओं से हम नहीं घबराते हैं,
सेवा परमों धर्म जान अपना फर्ज निभाते हैं।
हमेशा निष्काम भाव से करते हैं कर्म अपना,
तभी तो जनता में तत्पर सहयोगी कहलाते हैं।।
हम वचनवद्ध सैन्यकर्मि,
देखो वर्दी हमारा परिधान है।
क्योंकि हम स्वान नहीं इंसान हैं।।
हम कहीं से काली कमाई नही पाते हैं,
जी तोड़ मेहनत कर इज़्ज़त से कमाते हैं।
हम कभी किसी के फेंके हुए बोटी नही,
बल्कि अपनी ईमानदारी कि रोटी खाते हैं।।
इधर उधर मुँह मारने का,
हममें जगता नही अरमान है।
क्योंकी हम स्वान नहीं इंसान हैं।।
हम अपने मालिकों के तलवे नहीं चाटते,
और ना ही उनके कहने से भौकते या काटते।
वो जो खुद को हमारा माई बाप समझते,
देखा है पाँच वर्ष तक जनता ही उन्हें पालते।।
पर हम राष्ट्र के सजग प्रहरी,
हमारे लिए कर्म ही प्रधान है।
क्योंकी हम स्वान नहीं इंसान हैं।।
हम मज़बूर नहीं और न ही कभी शोषित हुए,
पर राजनीति के कारण अक्सर कुपोषित हुए।
फिर भी हँसते हँसते हर बाधाओं से भिड़ते रहें,
बदन पर लगे ज़ख्मों से कई बार सुशोभित हुए।।
सीने पे खाये गोलियों का,
यह तमगे कराती पहचान है।
क्योंकी हम स्वान नहीं इंसान हैं।।
काल के भी काल हम कभी काल से डरते नहीं,
शरीर मर जाये भले पर हो शहीद हम मरते नहीं।
दृढ़ प्रतिज्ञाओं के धनी एकमात्र शेष नाम अपना,
जो खाते हैं शपथ उससे पीछे हम हटते नहीं।।
हम हैं मादरे वतन के रक्षक,
अपने भारत माँ की संतान हैं।
क्योंकी हम स्वान नहीं इंसान हैं।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०६/११/२०२२)