हम हैं कक्षा साथी
हम साथ साथ हैं पढ़ते, हैं साथ-साथ रहते
जीना दुश्वार हमारा; एक दूसरे से हट के
हर कोई जानता है, यह जीवन है दो पल का किस्सा
पर इसमें भी विद्यार्थी जीवन है, उस पल का भी छोटा हिस्सा
माता-पिता हमारे, स्कूल भेजते हमें हैं पढ़ने उनकी तमन्ना है कि, हम करें साकार उनके सपने
फिर मार-पीट-झगड़ा, क्या यही करना कर्म हमारा?
इससे मंजिल दूर भागेगी, मिलेगा न हमें किनारा
कर्तव्य को निशाना बनाकर, हमें चाहिए लिखना-पढ़ना
पल-पल को महत्व देकर, चाहिए अपना पथ प्रशस्त करना
हम राही हैं जीवन के, आ गए एक पथ पर
मंजिल पृथक-पृथक है, चलें साथ-साथ हँसकर
समझ लो एक दिन हमें, विद्यालय को होगा छोड़ देना
हम एक-दूसरे से बिछड़ जाएँगे, और यादों में होगा रोना
तब आयेंगी यादें वो दिन, जब साथ-साथ थे रहते शोर-शराबा, धमा-चौकड़ी, लड़ाई-झगड़ा और हँसी-मजाक थे करते
सिर्फ यादें रह जायेंगी, रह जाओगे मन मसोस मसोस कर
दिल तड़प उठेगा अपने, कक्षा साथी से बिछुड़-बिछुड़कर
अत: दो क्षण के इस छात्र जीवन को, हम खुशियों से सजा लें
मिल जुलकर रहे खुशी से, साथियों के हृदय में, अपना स्थान बना लें।