*हम सब मानव एक हैं (गीत)*
हम सब मानव एक हैं (गीत)
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संस्कृतियाँ हैं विविध-विविध पर, हम सब मानव एक हैं
(1)
अलग-अलग हैं बोली-भाषा ,अलग गीत हम गाते
अलग-अलग हैं नृत्य हमारे ,कला अलग दिखलाते
वसुधा एक कुटुम्ब ,हमारे मकसद यह ही नेक हैं
संस्कृतियाँ हैं विविध-विविध पर, हम सब मानव एक हैं
(2)
अलग हमारे मजहब चाहे ,अलग जातियाँ पाईं
सूरज-चन्दा-फूल-पत्तियाँ मगर एक मुस्काईं
लक्ष्य हमारे विश्व-शान्ति के दुनिया में अभिषेक हैं
संस्कृतियाँ हैं विविध-विविध पर, हम सब मानव एक हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451