हम सब भारत माता की
हम सब तो है भारत माता की वीर संतान
माँ के एक इशारे पर गर्दन करते है कुर्बान
अरमानों की बस्ती में लिखेंगे आज लहू से
इश्क सिर्फ माटी से हमको,देश मेरा हिंदुस्ताँ
जुनूने इश्क माटी से हमको इतना है यारों
तड़पा के मारेंगे गर सामने हो पाकिस्तान
हमको देश अपना जान से प्यारा है दोस्तों
बनाकर चिता ख्वाइशों की देते है इम्तिहाँ
जुस्तजू इतनी की तिरंगे में लिपटकर आऊँ
वीरता से कर्तव्य पथ पर निकले मेरीे जान
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मात्ररम हो
वन्दे मातरम् ही होगा मरने पर मेरी जुबाँ
मुझे हर जन्म भारत माँ का ही बेटा बनाना
तो शहीद होने पर होगा मुझे भी अभिमान
मैं वो दिया हूँ जो हजार आंधियो में भी जला
ख़ुदा ने जलाया मुझे क्या बुझाएगा वो तूफ़ान
आग बनकर लहुँ बहता था जिसके जिस्म में
तिरंगा औढ़ कर आया देखो वही अशोक महाँ
अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से