हम शिक्षक है
हम शिक्षक है, हम मिटा कर अपनी हस्ती को तुम सी हस्तियां बनाते हैं।
किन्तु शायद तुमने यह समझ लिया कि हम केवल हस्तियां बनाते ही हैं।
बता देंगे तुझे ए आसमान पर उड़ने वाले बाज़,
कि किस तरह कतर के पंख
तुझे हम मिट्टी में मिलाते हैं।
क्या सोच लिया कि हम दौर ए गर्दिश में केवल फिजूल में चीख़ते चिलाते हैं।
बे वजह धरने और सम्मेलन सजाते हैं , तेरे जुल्मों के समंदर में नाव काग़ज़ की चलाते हैं।
अाने दे मौसम चुनावों वाला ,जो भस्मासुर बनाया अपने वरदान से हम उसको देखना कैसे चुटकियों में ही मिटाते हैं।
हमने तो राष्ट्र निर्माण का बीड़ा उठाया था, तब ही तो तुम सी हस्तियों को बनाया था।
तुम अहंकार वश मिटाने चले अस्तित्व उसी का जो अपना अस्तित्व तुम ही में तलाशता था।
जिसने इज़ाद किया है प्रेरणा एप को वह भी किसी गुरु की तपस्या का फल है।
हमें ही शौक था मुंडेर से पतंग उड़ाने का, चोटों से सबक लेकर, गिरते गिरते भी औकात हम दिखा देंगे।
गौर कर हमारी हस्ती मिटा ने वाले, निजता का हनन कर आत्मसम्मान को गिराने वाले।
चाहे तू बचे हुए समय में कितने भी एप आज़मा लेे।आज सड़क पर राष्ट्र निर्माता उतर आया है।
देखना रेखा कलम चलाने वाला शिक्षक ,जब अपनी ज़िद पर आता है। तब एक ही पल में
कितनी हस्तियां मिटा ते हैं ।