हम रोक न सके
लव हिलते रहे
बात हो न सकी
अश्क गिरते रहे
वो समेट न सके
बस यहीं होती है
खत्म कहानी
जिन्दगी की ,
वो जाते रहे
हम रोक न सके
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
लव हिलते रहे
बात हो न सकी
अश्क गिरते रहे
वो समेट न सके
बस यहीं होती है
खत्म कहानी
जिन्दगी की ,
वो जाते रहे
हम रोक न सके
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल