“ हम महान बनने की चाहत में लोगों से दूर हो जाएंगे “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमें महान बनने की ललक हो ना हो पर हमारी विभिन्य भंगिमा ही इस फेसबुक में दर्शाने लगती है कि हम भी महानता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं ! जन्म दिन ,शादी की सालगिरह ,बच्चों का जन्म दिन ,गृहप्रवेश ,परीक्षाओं में सफलता ,सम्मान ,पारितोषिक ,समारोह ,उत्सव ,विदेश यात्रा ,हवाई यात्रा ,नये कारों की खरीददारी ,पुस्तक विमोचन ,कविता पाठ और न जाने कितने लम्हों का प्रदर्शन इस रंगमंच पर सबके सब करते हैं ! यहाँ तक कि प्रोफाइल तस्वीरों को यदा -कदा गूगल स्वयं फेसबुक के रंगमंचों पर उकेरता रहता है !
हमारी इच्छाएं होती हैं कि अधिकांशतः फेसबुक से जुड़े लोग देखें ,लाइक करें और यथोचित उनकी बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि हमें खुलकर दें ! कुछ ही लोग होते हैं जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से जानते हैं ! अन्यथा सब के सब अनजान होते हैं ! उनकी भंगिमाओं और लेखनिओं से उनकी पहचान होती है !
कोई हमें बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि करता है तो हमारी कंजूस भरी प्रतिक्रियाएं हमें अकर्मण्य करार कर देती है जो अक्सर संदेहों के घेरे में आ जाते हैं ! कहीं ये तो महान बनने के प्रयास में नहीं है ? बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि देने वाला पश्चाताप करने लगता है और फिर आनेवाले वर्षों में बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि देने से कतराते हैं !
आभार और धन्यवाद को व्यक्त करने की विधाओं को भला कौन नहीं जानता है ? इस फेसबुक के पन्नों पर कुछ श्रेष्ठ हैं ,कुछ समतुल्य और कुछ कनिष्ठ हैं ! बधाई ,शुभकामना ,प्रशंसा ,समीक्षा ,सकारात्मक टिप्पणी ,आभार अभिनंदन ,प्रणाम ,आशीष ,होसलाफ़ज़ाई इत्यादि जब वे लोग देते हैं तो हमें गर्व होना चाहिए कि हमें लोग प्यार करते हैं और सम्मान करते हैं ! श्रेष्ठों ने होसलाफ़ज़ाई की और हमने “थैंक्स “ कहकर निकल गए !
भाषा कोई भी हो विश्व की सारी भाषाओं में शालीनता ,शिष्टाचार और मृदुलता के शब्द छुपे हैं ! हम प्रतिक्रिया स्वरूप व्यक्त नहीं करना चाहते ! आपकी व्यस्तता ,अकस्मिता और अकर्मण्यता आपको दूसरे की निगाहों में महान नहीं अभद्र बनाता है !
बड़ों को लिखकर प्रणाम करें ! फोटो प्रणाम से आधी- अधूरी शालीनता छलकती है ! यहाँ तक समतुल्य और कनिष्ठ को भी हृदय से प्रतिक्रिया लिखें ! हम अत्यंत ही भाग्यशाली है जिन्हें श्रेष्ठ लोगों का सानिध्य प्राप्त हुआ ! श्रेष्ठ ही नहीं सारे लोगों के दिलों में बसना होगा अन्यथा “ हम महान बनने की चाहत में लोगों से दूर हो जाएंगे !! “
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत