हम भी सहमत हैं जो है ख़याल आपका
हम भी सहमत हैं जो है ख़याल आपका
मुफ़लिसी क्यूँ है वाज़िब सवाल आपका
चल दिये आप सुनने से पहले हमें
पूछने सिर्फ़ आए थे हाल आपका
हुस्ने-यक़ता है ऐसा कि घायल जहाँ
है क़मर की तरह से जमाल आपका
नींद आँखों में आई नहीं रातभर
आ गया शाम से जो ख़याल आपका
सुन के अशआर हैरतज़दा हैं सभी
ये सुख़न का हुनर है कमाल आपका
– डॉ आनन्द किशोर