हम भी कोई एलियन नहीं
हम भी कोई एलीयन नहीं हम तो है एक इंसान
गलतियों का पुतला ठहरा माटी का यह जवान
राष्ट्रधर्म का अरमान रखकर दिल मे फिरते हम
पर हम में भी हो सकते कुछ साधु कुछ शैतान
जीवन की परिभाषा समझ बैठे वो जो अच्छे है
उनके आगे मस्तक झुक जाता जैसे हो भगवान
उनका नाम लेकर आसुँ टपका देना ए दोस्तों
जो मातृ भूमि की खातिर कर बैठे है बलिदान
दिवाली पे क्यों ,रोज दिया जलाओ उनके लिए
जिनकी यश गाथा सुन झूम उठता है आसमान
खोल दो कोठरी बेधड़क उनके लिए ए दोस्तों
जिनके गन्दे इरादों से कोसता हमें ये हिंदुस्तान
माना कुछ नहीं समझते गरिमा अपने पद की
ख़ाकी पर गर्व हमकों इससे हमारी बढ़ती शान
अशोक सपड़ा हमदर्द