हम भी उसे भूल गए
वो कैसे भुलाते है दिल से
हम आज ये जान गए
वो जो कहते थे बड़े बुज़ुर्ग
हम वो बात मान गए।।
पीड़ा नहीं दिल में ज़रा भी
चेहरे पर शिकन नहीं
किस मिट्टी की बनी है वो
उसे तो कोई फर्क नहीं।।
मैं ही समझ नहीं पाया उसको
या उसने मुझसे छुपाया
करके प्यार का नाटक मुझसे
क्यों उसने मुझे रुलाया।।
कोई बता दे कसूर मेरा, मैने तो
बस मोहब्बत को निभाया
उसने भी तो अबतक हर पल
मुझको प्यार ही दिखाया।।
पहले दुनिया बदल दी मेरी
अब उसको खत्म किया
मेरी वफाओं का उसने मुझे
आज ये कैसा सिला दिया।।
है दुआ मेरी बीते ना किसी पर ऐसी
जो झेलना मुझे पड़ रहा है
बेवफाई की है उसने साथ मेरे
और रोना मुझे पड़ रहा है।।
कौन सुनेगा अब फरियाद मेरी
नहीं रहा किसी पर विश्वास
झेलूंगा कैसे अब ये गम सोचकर
हो रहा अनहोनी का आभास।।
क्यों बर्बाद करूं अपने जीवन को
किसी बेवफा के लिए मैं
क्यों छोड़ दूं इस जहां को बेवजह
किसी बेवफा के लिए मैं।।
जब से आया है मन ये ख्याल मेरे
खुद को संभालने की कोशिश कर रहा हूं
बुझ गया है जो दीया बेवफाई की हवा से
उसको जलाने की कोशिश कर रहा हूं।।
दोस्तों के संग चला जाता हूं
कुछ पल सुकून पाता हूं
है यही तरीका भूलाने का उसको
तस्वीर उसकी जला जाता हूं।।
मिले न किसी को भी प्यार ऐसा
रब से यही दुआ करता हूं
जहां भी रहे हमेशा सुखी रहे वो
फिर भी यही दुआ करता हूं।।