हम भाई – भाई थे
आजादी सम्प्राप्ति से सर्वपूर्व ,
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई ,
एक अचल बंधन में बँधे ,
हम भाई – भाई थे।
आजादी सम्प्राप्ति के पश्चात ,
किस भ्रष्टाचारी मनुज ने ,
बाँट दिया हम भाईयों को ,
जाति – धर्म के कीर्ति पर।
न मिला सुलह का मौका ,
हममें दरारें डाली गयीं ,
हमारी किन्हीं भ्रम को ,
युद्धक्षेत्र में गढ़ाया था।
हम भाई – भाई थे ,
क्यों हमें लड़ाया गया?
मंदिर, मस्जिद, गिरजा,
गुरुद्वारा के धर्म पर ,
क्यों हमें बाँटा गया?
रुधिर हमारा एक यादृश ,
बस आपसी प्रत्यर्थ में ,
अपनों का ही रुधिर बहाया ,
हम भाई – भाई थे ,
क्यों हमसे पाप करवाया?
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार