हम बढ़ें शिखर की ओर….
मशाल ज्ञान की लिए हाथ में
हम चलें प्रगति की ओर !
अथक गति चरणों में भरकर
हम बढ़ें शिखर की ओर !
दें कुरूप को रूप सलोना
उजला हो घर का हर कोना !
दारिद्रय मिटे,समृद्ध बनें सब
बिखरा हो कण-कण में सोना !
छोटे पर कर्मठ हाथों से
हम छू लें नभ के छोर !
सुंदर मन,सत्य समन्वित ले
हम बढ़ें शिवम् की ओर !
अज्ञान तिमिर हर लें जग से
हम नन्हे-नन्हे दीप !
मोती-सी तरलता लिए हृदय में
हम दमकें जैसे सीप !
जीत हार में साथ रहें हम
थामे प्रीत की डोर !
मिट जाए तमस देश से
ले आएँ ऐसी भोर !
क्षुद्र स्वार्थ से ऊपर उठकर
देश-हित में कुछ काम करें
सारे जग में सबसे बढ़कर
देश का अपने नाम करें
उन्मुक्त निर्बाध उड़ें हम
संस्कारों की थामे डोर
बढ़ते जाएँ आगे प्रतिपल
ढीला कर दुश्मन का जोर !
– डा.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
“चाहत चकोर की” से