Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2021 · 1 min read

हम बिलखते रहे

***हम बिलखते रहे (गजल)***
*************************

रौब में हम पर वो गरजते रहे,
प्रेम में उन पर हम बरसते रहे।

मात देकर झट वो हमें चल दिए,
चाह में उनकी हम तड़फते रहे।

जान कर भी अंजान बनकर रहे,
भाव मन में आ कर मचलते रहे।

तान क र बौहें दूर हम से हुए,
टूट कर आंगन में बिखरते रहे।

छोड़कर मनसीरत रुका पल नहीं
याद में उनकी हम बिलखते रहे।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
Shweta Soni
घर
घर
Ranjeet kumar patre
पिछले पन्ने 3
पिछले पन्ने 3
Paras Nath Jha
Gestures Of Love
Gestures Of Love
Vedha Singh
विश्वास मत तोड़ना मेरा
विश्वास मत तोड़ना मेरा
Sonam Puneet Dubey
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
जब कभी प्यार  की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर लम्हे में
हर लम्हे में
Sangeeta Beniwal
दोहा - शीत
दोहा - शीत
sushil sarna
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मात पिता का आदर करना
मात पिता का आदर करना
Dr Archana Gupta
" कृष्णा का आवाहन "
DrLakshman Jha Parimal
बदलियां
बदलियां
surenderpal vaidya
तुम
तुम
Dr.Pratibha Prakash
पाहन भी भगवान
पाहन भी भगवान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
"मैं" एहसास ऐ!
Harminder Kaur
संसार में सबसे
संसार में सबसे "सच्ची" वो दो औरतें हैं, जो टीव्ही पर ख़ुद क़ुब
*प्रणय*
3231.*पूर्णिका*
3231.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पत्थर
पत्थर
manjula chauhan
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
कवि रमेशराज
*ट्रस्टीशिप : सनातन वैराग्य दर्शन का कालजयी विचार*
*ट्रस्टीशिप : सनातन वैराग्य दर्शन का कालजयी विचार*
Ravi Prakash
Our ability to stay focused on the intellectual or creative
Our ability to stay focused on the intellectual or creative
पूर्वार्थ
अनमोल जीवन
अनमोल जीवन
Shriyansh Gupta
दुखों का भार
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
हमने ये शराब जब भी पी है,
हमने ये शराब जब भी पी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंजाम
अंजाम
TAMANNA BILASPURI
"कौवे की बोली"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ लौट चले
आओ लौट चले
Dr. Mahesh Kumawat
ग़ज़ल _ मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ।
ग़ज़ल _ मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ।
Neelofar Khan
Loading...