हम फ़ना हो गये….
ग़ज़ल
हम फ़ना हो गयें देखते देखते।
कट गई उम्र यूंही देखते देखते।
हसरत तो थी सुधरे हालात।
बद से बदतर हुए देखते देखते।
दिल मे जगती हरदम मुहब्बत सी थी।
शम्मा बुझ ही गयी देखते देखते।
उम्मीद का दिया टिमटिमाता रहा।
काश पलट आयें वो देंखते देखते।
नामुम्कीन सा लगता है अब एक हो।
जा कही बस गयें देंखते देखते।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर