हम प्राइम टाइम देखने में लगे हैं!
सुशांत दुनिया से चले गए, रिया को हो गई जेल,
अब कंगना की एंट्री हुई,देख सियासत का खेल!
सुशांत एक बार नहीं मरा,बार बार मारा गया,
और रिया को हत्यारा ठहराया गया!
महाराष्ट्र में तो यह सब हुआ ही था,
फिर अचानक बिहार भी इसमें शामिल हुआ,
दोनों में चल पड़ी थी तकरार,
पहुंच गए न्यायालय के पास,
न्यायालय ने भी जनहित में फैसला किया,
मामला सी बी आई को सौंप दिया!
सीबीआई ने कमान संभाली,
पुछताछ की मुहिम चला दी,
हर एंगल से जांचा परखा,
ये हत्या थी,या आत्महत्या,
वह अभी अनिर्णय में ही उलझा था ,
तभी इ डी का पदार्पण हो गया,
उसने भी पुरी ताकत झोंकी,
कितनों तक वह नहीं पहुंची,
कुछ भी परिणाम ना आता देख,
नारकोटिक्स को दिया भेज,
नारकोटिक्स ने भी निराश नहीं किया,
और अंततः रिया को जेल भेज दिया!
लगा कि अब माहौल में परिवर्तन आएगा,
बेरोजगारी पर ध्यान जाएगा,
जीडीपी पर चर्चाएं होंगी,
सीमाओं की रक्षा पर वार्ताएं होंगी,
लेकिन इसका अवसर नहीं आया,
आया तो कंगना का बयान आया,
और बयान भी उसने कैसा दिया,
मुंबई को पी ओ के’ बता दिया,
शायद ऐसा कहने की जरूरत नहीं थी,
लेकिन उसकी तो मंशा ही यह थी,
अब शिव सैनिकों को यह राश ना आया,
उन्होंने भी अपना तीर चलाया,
क्या कुछ कहना था,क्या कुछ कह डाला,
मर्यादाओं को तोड ही डाला,
अब कंगना कहां चुप रहने वाली थी,
उसने भी दे डाली गाली थी,
दोनों ओर से मर्यादाओं का हनन हुआ,
एक दूसरे के चरित्र का हनन हुआ!
दोनों की खूब लानत मलामत हुई,
तभी एक श्रीमान को यह क्या सूझी,
उसने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा,
एक कार्टून के माध्यम से विवश(लाचार) श्री बताया,
अब तो शिव सैनिकों का धैर्य काम ना आया,
उन्होंने उस सज्जन पर हाथ फेर दिया,
और मामला फिर से गर्मा गर्म हो गया,
सबकी निगाहों को यह साल रहा था,
शिव सैनिकों की उदंडता पर सवाल उठ खड़ा हुआ था,
बेरोजगारी, जी डी पी,कोरोना से ध्यान बंट गया,
सीमाओं पर क्या चल रहा है से ध्यान हट गया,
सरकारों को कुछ समय के लिए राहत मिल गई है,
सत्ता में बने रहने की इजाजत मिल गई,
और उनका लक्ष्य भी तो यही है सत्ता में बने रहें,
और उसी को कायम रखने में है लगे हुए ,
हमारा भी क्या है, हम प्राइम टाइम देख रहें हैं,
और अपने हालातों पर, स्वंय को कोष रहे हैं!