“ हम प्रतिक्रियाओं के फकीर हैं “
( व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति )
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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हम अपनी लेखनी के अमीर हैं ,
हम बड़ी- बड़ी कविताएं लिखते हैं ,
कितने खंड्य काव्यों को तराशा है
चुटकिओं में कितने लेखों को लिखा है !!
ब्लॉगों की भरमार छप चुकी है ,
कितनी किताबें हमारी छप चुकीं हैं ,
किताबों क विमोचन भी होने लगा ,
कई बार हमें साहित्य -रत्न से नवाजा भी गया !!
जश्न हुआ सर पर मुकुट सजे ,
गले में शॉल लपेटे गए ,
हाथों में प्रशस्ति -पत्र दिए गए ,
विभिन्य भंगिमाओं में हमारी तस्वीरें छपीं ,
देश -विदेशों के गणमान्य से मिलन हुआ !!
विमान यात्रा क सुखद अनुभव को भी बताया ,
फिर देखते -देखते लोगों की टिप्पणियाँ ,
समालोचना ,प्रशंसा ,आभार ,अभिनंदन
आशीष की बौछारे की बरसात होने लगी ,
पर हम तो जन्मों से ही कंजूस हैं
कोई कुछ भी कहे हम उनके जबाब देते नहीं !
बस हम अपने श्रेष्ठों ,मित्रों और अनुज को
सिर्फ “ लाइक “ करना जानते हैं !
हो सकता है किन्हीं और कामों में कुछ क्षण
हम व्यस्त हों ,पर दीर्घ कालीन मौनता जंचता नहीं !!
हम तो इतने निष्क्रिय हो गए हैं ,
शब्द व्याक्योँ को भी लिखना भूल गए हैं !!
GIF, प्रणाम और चिन्ह भी अनिवार्य है ,
पर कहाँ प्रयोग करना है हमें
यह तो बस भूल गए हैं !
हम तो अपनी लिखनी के कबीर हैं !
पर लोगों को प्रतिक्रिया देने के फकीर हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत