” हम पूरब तो वो पश्चिम निकले “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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हम मित्रों की टोली बनाने के लिए सदा ही तत्पर रहते हैं ! फेसबुक के पन्नों को खंघालने की प्रक्रिया बड़े जोरों से चल पड़ी है ! हम सारे काम काजों को छोड़ इस प्रतियोगिता में लग गए हैं कि हमारे मित्रों की जमात सब से बड़ी हो ! एवेरेस्ट की चोटी पर अपना झंडा हम फहरा कर ही दम लेंगे ! …बस एक क्लिक तो करना है ..फ्रेंड रिक्वेस्ट को भेजने में हमारा जाता ही क्या है ?……. वो दिन तो लद गए जब मित्रता के धागों में आपसी समझदारी… ,सहयोग…… ,गोपनीयता …..और……. मिलन के समिश्रणों का मांझा लगाये जाते थे और लटाई में इस तरह लपेट कर सुरक्षित रखे जाते थे कि मजाल है कि कोई हमारे पतंग को ‘भाकाटा “कर दे ! आपसी समझदारी ….,सहयोग ,,,,,गोपनीयता ….और…. मिलन ही हमारी मित्रता के स्तम्भ थे ! आज कल फ्रेंड रिक्वेस्ट तो आ जाता है ! पर जब तक हम कन्फर्म नहीं करेंगे तब तक उनके प्रोफाइलों का निरीक्षण भी हम नहीं कर सकते ! हमें यह जानना मुश्किल हो जाता है कि किस मंदिर में कौन देवता बैठे हैं ?….. मंदिर में देवताओं की मूर्ति देख कर ही हम मंत्रों को उच्चारण करते हैं ….. पर फेसबुकों में यदाकदा भगवान ही बदल दिए जाते हैं !….. व्यक्ति कोई और रहता है और फोटो किसी और का !…… हम सोचते हैं कि हमारे विचारों का आदान- प्रदान होगा ,पर वो तो कुछ और निकल जाते हैं !,,, हम पूरब तो वो पश्चिम वाले बन जाते हैं !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत
27 . 11. 2021.