बस्ता वजन उठाते हैं हम पढ़ने जब जाते हैं ।
हम पढने जब जाते हैं ।
कमजोर है हाथ हमारे
कोई नहीं है साथ हमारे
बस्ता वजन उठाते हैं
हम पढ़ने जब जाते हैं ।
भरी कापियां बीस प्रकार
ऊपर से किताब का भार
पढो बढो सब घर वाले
यही रोज समझाते हैं ।
हम पढ़ने जब जाते हैं ।
झुकी कमर और बस्ता भारी
भावी जीवन की तैयारी
अंक की रहती मारा मारी
चिंता अधिक बढाते है ।
हम पढ़ने जब जाते हैं ।
कैसे खेले काम बहुत है ।
किताबों के दाम बहुत है ।
करें कटौती जेब खर्च की
तब हम कापी पाते हैं
हम पढ़ने जब जाते हैं ।
कैसी कैसी होड लगी है
स्कूलों में भीड़ लगी है ।
चिंता है अभिभावक की
अच्छे ट्यूशन भी लगाते हैं
हम पढ़ने जब जाते हैं ।
रोज खर्च है माडल चार्ट
कहते ये शिक्षा के पार्ट
तामझाम है और नाम है
पढ़ने का न कोई काम है
रोज ही डाँट लगाते हैं
हम पढ़ने जब जाते हैं ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र