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25 Apr 2022 · 1 min read

¡*¡ हम पंछी : कोई हमें बचा लो ¡*¡

गर्मी का आतंक छा गया, मची है जल की हाहाकार
बूंद – बूंद को तरस रहे हम, पानी पीने को लाचार
गर्मी का आतंक……….
1) सुना है धर्म के पथ पर इंसा, बड़े अड़िग हो चलते हैं
स्वयं फ्रिज, मटका जल पीते, हमसे क्यों कर जलते हैं
थोड़ा जल हमको भी दे दो, होगा हम सब पर उपकार
गर्मी का आतंक…………
2) दर्द हमारा नहीं समझते, तो कुछ पल प्यासे रह लो
प्यास से प्राण तड़पते कैसे, थोड़ा कष्ट तुम भी सह लो
हम नहीं मांगें महल अटारी, जल भर दे दो थोड़ा प्यार
गर्मी का आतंक…………
3) पता नहीं तुमको जल बिन, हम तड़प तड़प कर मरते हैं
जल बिन हम बच्चे भी मरेंगे, यही सोचकर डरते हैं
हम मजबूर हैं कुआं खोदकर, जल पीना न हो सकार
गर्मी का आतंक……….
4) धर्मदास तुम बहुत बड़े, थोड़ा जल हमको भी भर दो
होगा फक्र तुमको तुम पर, यह अमिट कार्य अभी कर दो
देंगे तुमको लाखों दुआएं, करें तुम्हारी जय जयकार
गर्मी का आतंक………..
पक्षियों का निवेदन:- हमें “Twitter” नहीं दाना – पानी चाहिए। इस सहयोग के लिए, आप सभी का बहुत-बहुत आभार। जो भी सज्जन पक्षियों से प्यार करते हैं।
इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
आपके शेयर करने से यदि एक भी व्यक्ति ने पक्षियों को पानी पीने के लिए भर दिया तो मैं अपनी कविता सफल समझूंगा। धन्यवाद।
लेखक :- खैमसिंह सैनी
भरतपुर ( राजस्थान )
मो.न. 9266034599

Language: Hindi
7 Likes · 6 Comments · 3134 Views
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