हम न पूछेंगे।।
तुम्हारे लहज़े हैं कितने मुदस्सर, हम न पूछेंगे,
क्यों नज़रें फेर कर बैठे हो हमसे, हम न पूछेंगे।
कभी भी बोल सकते हो, वहम यह पाल रखा है,
मगर है चाहतों का क्या असर ये, हम न पूछेंगे।।
जज्बातों का असर तो, लफ्ज़ों से ही तय होता है।
मगर लब कब करेंगे चाहत बयां, हम न पुछेंगे।।
कुछ बातें कहने की हिमाकत, लब नही करतें।
मगर वो नज़री बातें कितनी समझें, हम न पूछेंगे।।
निगाहें मिल जो जाए तो, आंखे चार भी कर लें।
खामोशी का होगा कितना असर, हम न पूछेंगे।।
आंखे वो मिला लेतें गर छोड़, लाज का पर्दा,
मगर क्या सुन पायेंगे धड़कन, हम न पूछेंगे।।
अगर महसूस करते धड़कनो को, तो इजाजत दो।
करीब कितने रख पाओगे दिल के, हम न पूछेंगे।।
जरा सा एक परत दिल की गिरह को, खोल कर देखूँ।
की कैसे अक्स का पाते झलक, हम न पूछेंगे।।
गाँठे खोल भी लेते हम तेरे, दिल की भी लेकिन।
खुद का नाम न पाया तो जियें कैसे, हम न पूछेंगे।।
आईने सा साफ दिल मेरा, सच बात है कहता।
मगर तुम झूठा क्यों कहते उसे, हम न पूछेंगे।।
छोड़ो बातों बातों में कही, तकरार न हो ले।
घड़ी ये प्यार की या है जुदाई, हम न पूछेंगे।।
तुम्ही इजहार के डर से हमसे, फासला रख लो।
क्या कहना चाहते थे लब तेरे, हम न पूछेंगे।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०२/०२/२०२०)