हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है
हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है
एक नही सौ सौ गुंडे पाले है
बाहर से है श्वेतवसन है
पर मेरे कारनामे काले है
हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है
कार्यकाल मे केवल घपले घोटाले है
वादा ही है अस्त्र हमारा
जुबान से फिजाओ मे अंगारे है
लक्ष्य नही कोई सोच नही
केवल चुनावी नारे है
हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है
विन्ध्यप्रकाश मिश्र