हम ना हंसे हैं। एक मुद्दत हुयी है हमको हम ना हंसे हैं। हंसते भी कैसे ज़िंदगी ने इतने गम ही दिए हैं। ✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️