Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2024 · 1 min read

*हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ (गीत)*

हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ (गीत)
_________________________
हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ
1)
देव हमारे अस्त्र-शस्त्र से, विजयी असुरों पर होते हैं
उनके सात्विक बल के आगे, विकराल दैत्य सब रोते हैं
हम गीता के पढ़ने वाले, कायरता हम में मत लाओ
2)
हम सत्य-सनातन के गायक, हम समरसता आराधक हैं
जिनका मंतव्य अराजकता, हम उनके पथ में बाधक हैं
आग्रह बस इतना करते हैं, सब भारत मॉं की जय गाओ
3)
हम राष्ट्रगीत गाने वाले, वंदे भारत हम गाते हैं
हम अपनेपन का सही अर्थ, वसुधैव कुटुंब बताते हैं
हमने यदि हमला किया कभी, तो जो प्रमाण हो बतलाओ
4)
सबका साथ-विकास चाहते, सबको लेकर हम चलते हैं
हम मन-काया से शुद्ध सदा, हम नहीं किसी को छलते हैं
हम सदियों से शाकाहारी, हमको न अहिंसा सिखलाओ
हम धनुष-सुदर्शनधारी हैं, हिंसक मत हमको ठहराओ

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
195 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

#5_सबक
#5_सबक
पूर्वार्थ
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
12. घर का दरवाज़ा
12. घर का दरवाज़ा
Rajeev Dutta
..
..
*प्रणय*
शृंगारिक अभिलेखन
शृंगारिक अभिलेखन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कृष्ण कन्हैया घर में आए
कृष्ण कन्हैया घर में आए
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
व्यंजन की कविता
व्यंजन की कविता
Mansi Kadam
"अन्दाज"
Dr. Kishan tandon kranti
नारी है न्यारी
नारी है न्यारी
Indu Nandal
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
जाति
जाति
Ashwini sharma
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
Suryakant Dwivedi
मैं बंजर हूं
मैं बंजर हूं
लक्की सिंह चौहान
मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं
मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं
भरत कुमार सोलंकी
देश की हालात
देश की हालात
Dr. Man Mohan Krishna
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
ओनिका सेतिया 'अनु '
4431.*पूर्णिका*
4431.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खत
खत
Sumangal Singh Sikarwar
- जीवन का उद्देश्य कुछ बड़ा बनाओ -
- जीवन का उद्देश्य कुछ बड़ा बनाओ -
bharat gehlot
आएं वृंदावन धाम
आएं वृंदावन धाम
Seema gupta,Alwar
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
gurudeenverma198
जिनके जानें से जाती थी जान भी मैंने उनका जाना भी देखा है अब
जिनके जानें से जाती थी जान भी मैंने उनका जाना भी देखा है अब
Vishvendra arya
सुलेख
सुलेख
Rambali Mishra
* सामने आ गये *
* सामने आ गये *
surenderpal vaidya
आने वाले समय में हम जिंदा तो नही होंगे..!!
आने वाले समय में हम जिंदा तो नही होंगे..!!
Ranjeet kumar patre
जीवन जितना
जीवन जितना
Dr fauzia Naseem shad
Love love and love
Love love and love
Aditya Prakash
मुस्कुरा दीजिए
मुस्कुरा दीजिए
Davina Amar Thakral
Loading...