– हम दोनो अनजान बन गए एक दूसरे की जान –
– हम दोनों अनजान बन गए एक दूसरे की जान –
एक दूसरे से थे हम दोनो बिल्कुल भी अनजान,
नजरे मिली प्यार हुआ हो गए एक दूसरे की जान,
लोगो ने की मशक्कत हमे दूर करने की,
चुंबकीय आकर्षण से एक दूसरे की और हो गए,
वो मेरे दिल में बस गई हम उसके दिल में उतर गए,
वो हमारी चांदनी हम उसके चांद हो गए,
एक दूसरे को देखे तो ही सुबह मुक्कमल हो,
एक दूसरे के लिए सूर्य और चंद्रमा से हो गए,
न देखे तो बैचेनी देखे अगर तो करार आ जाए,
ऐसी दिलकशी कशिश सी अनुमान हो गए,
हम दोनो थे एक दूसरे से अनजान,
एक दूसरे की जान बन गए ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान