हम दुख को भा गये …
नींद कुछ रूठी थी ,
हसरतें भी टूटी थी
अंधेरे कुछ रोशन हुए
खुद लोरी सुना गये …
जिस पल हौसला रखा
तूफाँ भी हद मे आ गये
सोच को विस्तार दिया
तारे सरहद में आ गये ..
कुछ फरिश्ते राह में
जुगनु बिखरा गये पर
साथ छोडा ही नहीं
हम दुख को भा गये …