“ हम तो राही प्यार के “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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सबको लेकर साथ चलो ,
आशाओं के दीप जलाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
सबको लेकर साथ चलो ,
आशाओं के दीप जलाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
कुछ में हिम्मत बची नहीं ,
कोई चलने से लाचार हुआ !
पाँवों में छाले पड़-पड़ के ,
पैर भी मानो बेजार हुआ !!
कुछ में हिम्मत बची नहीं ,
कोई चलने से लाचार हुआ !
पाँवों में छाले पड़-पड़ के ,
पैर भी मानो बेजार हुआ !!
उनके घावों को मरहम कर
सांत्वना तो कुछ देते जाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
सबको लेकर साथ चलो ,
आशाओं के दीप जलाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
जो अंधकार में डूब चुके ,
उसे ज्ञान दीप दिखाना है !
सुनसान वीराने बंजर में ,
फिर से फूल खिलना है !!
जो अंधकार में डूब चुके ,
उसे ज्ञान दीप दिखाना है !
सुनसान वीराने बंजर में ,
फिर से फूल खिलना है !!
हिम्मत देकर साथ उसे ,
कुछ उनमें अलख जगाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
सबको लेकर साथ चलो ,
आशाओं के दीप जलाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
निःस्वार्थ भाव की सेवा से ,
हम जग को जीत ही जाएंगे !
आपदा कभी आए हम पर ,
तो हम उस से भीड़ जाएंगे !!
निःस्वार्थ भाव की सेवा से ,
हम जग को जीत ही जाएंगे !
आपदा कभी आए हम पर ,
तो हम उस से भीड़ जाएंगे !!
नई शक्ति की नई शृंखला ,
चारों दिशा में बनकर दिखलाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
सबको लेकर साथ चलो ,
आशाओं के दीप जलाओ !
राहों को प्रज्ज्वलित करके ,
मंजिल तक उनको पहुँचाओ !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत