हम तो ठेठ देसी है ।
आप सभी महानुभवो का ह्रदय से धन्यवाद ।
की आप मेरी लिखी हुई कविता लेख गीत को पसंद करते है । तो समय बर्बाद ना करते हुए में अता हूं । कहानी पर
बात उस समय की है जब मेरे घर मै। मेहमान आए हुए थे
और भारतीय संस्कृति के अनुसार मेहमान को भगवान रूपी माना जाता है । अतिथि देवो भव: जैसा व्यवहार हम उनके सामने रखते हैं परन्तु घर में मेहमान आ जाने से ऐसे कई बक्या होते हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं
मेहमानों के आ जाने से घर में खुशी का माहौल था । वह लगभग शाम 4:00 बजे घर आ चुके थे । मैं स्कूल से जब घर पहुंचा तो मैंने देखा की घर में मेहमान आए हुए हैं । वैसे भी मैं शर्मीला टाइप का था उस वक्त तो मुझे मेहमानों से मिलने में दिक्कत होती थी कहीं वह कोई सवाल ना पूछ बैठे इस बात का डर लगा रहता था । परंतु मेरी मां इस बात से निपटने के लिए मुझे सलाह देती थी और बोलती थी कि तू उनके सामने जाना और पैर छू लेना और वापस आ जाना तो इस समस्या से निपटने के लिए मुझे मां ने पहले से ही कोचिंग दी थी । मैंने अपने स्कूल की ड्रेस को चेंज किया और अब बारी थी मेहमानों से मिलने की तो मैं गया और मैंने सभी मेहमानों के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया । पर समस्या अब थी क्योंकि पापा जी ने मुझको बोला कि बेटा यहीं बैठ मैं थोड़ा काम से बाहर जा रहा हूं । तो मुझे मेहमानों के साथ बैठना था अब मेरे पास कोई चारा नहीं था कि मैं वहां से निकल सकूं क्योंकि मेहमानों को अकेला भी नहीं छोड़ सकता था और पापा जी की बात को भी मानना था तो मैं वहीं बैठा रहा लगभग 5:10 मिनट चुपचाप बैठे रहने के बाद मेहमान ने मुझसे पूछा क्यों बेटा पढ़ाई करते हो मैंने कम आवाज में उत्तर दिया जी हां और मैं मन ही मन सोचने लगा कितना सरल जवाब पूछा है सवाल पूछा है । इससे पहले मैं पहले सवाल का उत्तर देता उससे पहले उन्होंने दूसरा सवाल मुझसे पूछा अच्छा बेटा कौन सी क्लास में पढ़ते हो । मैंने वही धीमी आवाज में उत्तर दिया जी 12वीं वह बोले अच्छा है कौन से सब्जेक्ट से हो मैंने उत्तर दिया गणित वह बोले वाह क्या बात है । और उन्होंने मुझसे एक आश्चर्यचकित कर देने वाला सवाल पूछा । के अट्ठे 16 अब इसका जवाब तो मुझको पता नहीं था क्योंकि है सवाल ना कभी मैंने पढ़ा था और ना ही इसका जवाब मुझे किसी ने बताया था और मुझको यह समझ भी नहीं आया कि इसका जवाब क्या दूं । अगर वह मुझसे पूछते के अट्ठे 12 तो इसका जवाब मुझको पता था कि 1.5 अट्ठे 12 होते हैं मगर उन्होंने मुझसे सवाल ही गलत पूछा था और मुझे इसका उत्तर देना था परंतु मैंने कुछ नहीं बोला अब रात हो चुकी थी पापा भी घर आ चुके थे तो मैंने सोचा अब मेरा पीछा छूटा तो मैंने वहां से निकल लिया और दूसरे कमरे में चला गया अब इसके बाद क्या होता है मैं अगले पार्ट में बताता क्यों की कहानी लंबी हो जाएगी और मैं थक गया हूं टाइपिंग करते हुए ।
धन्यवाद