हम तो ठहरे मुसाफिर
हम तो चले अब भैया
हम तो ठहरे मुसाफिर
बहती जीवन की धारा के
हम है,छोटे से नाविक
यहीं जीवन की रंगमंच स्थली
हर भय से पहले से परिचित
अनंत आकाश में
ज्योति जल जाए
लहरों को पार कर प्राण
जाते है तो जाएं
खींच मन्ज़िल की डोर अपनी ओर
गीत गाते गाते आगे बढतें जाएं।
भूपेंद्र रावत
3।01।2020