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8 Jan 2020 · 1 min read

हम तो ठहरे मुसाफिर

हम तो चले अब भैया
हम तो ठहरे मुसाफिर
बहती जीवन की धारा के
हम है,छोटे से नाविक
यहीं जीवन की रंगमंच स्थली
हर भय से पहले से परिचित
अनंत आकाश में
ज्योति जल जाए
लहरों को पार कर प्राण
जाते है तो जाएं
खींच मन्ज़िल की डोर अपनी ओर
गीत गाते गाते आगे बढतें जाएं।

भूपेंद्र रावत
3।01।2020

Language: Hindi
1 Like · 251 Views

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