हम तेरी जुस्तजू
हम तेरी जुस्तजू में
शिवाले हो आये है।
तेरी ख़ातिर नाजने
कितनो को छोड़ आये है।
अब मेरी रूह तुझमें ही बस्ती हैं
हम कुछ इस तरह नदी का पानी
समुंद्र में घोल आये है।
अब तो फ़िज़ाओं से भी किनारा कर लिया
जब से वो पास मेरे आये है।
फ़लक से तारे तोड़ने का किया था वादा
आज वो तारा हम फ़लक से तोड़ ले आये है।
इस दुनिया की खान से चुराकर
वो किमती हीरा हम ले आये है।
अपनी बहती कश्ती का
मुसाफ़िर हम खोज़ ले आये है।
उसकी ज़ुस्तज़ू में
शिवाले हो आये है।
उनकी तलाश में मयकदे को
पिछे छोड़ आए है।