हम तुम
ख्वाबों की हंसीं वादी में ,
तेरी यादों के साए है
शोख़ लवों की मुस्कानो ने ,
सुर्ख़ से गुलाब महकाए है
हम तुम दोनों भूल गए की ,
अक्सर ऐसी ही राहों में
दर्द के न जाने कितने ही ,
जंगल जैसे उग आए है
ख्वाबों की हंसीं वादी में ,
तेरी यादों के साए है
शोख़ लवों की मुस्कानो ने ,
सुर्ख़ से गुलाब महकाए है
हम तुम दोनों भूल गए की ,
अक्सर ऐसी ही राहों में
दर्द के न जाने कितने ही ,
जंगल जैसे उग आए है