” हम -तुम “
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
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प्रीत भी हो तुम गीत भी हो ,
जीवन का संगीत भी हो ,
सुर मेरे तुम ताल मेरे ,
मधुर कंठ का राग भी हो !!
अनुराग भी हो मेरा प्यार भी हो ,
सपनों का शृंगार भी हो ,
मधुमास मेरे तुम साथ मेरे ,
सावन की बरसात भी हो !!
हम रह न सकेंगे तेरे बिन ,
प्यासे ही हम मर जाएंगे ,
तडपेंगे सदा हम रह- रहके ,
फिर तुमसे ना मिल पाएंगे !!
हम रह न सकेंगे तेरे बिन ,
प्यासे ही हम मर जाएंगे ,
तडपेंगे सदा हम रह -रहके
फिर तुमसे ना मिल पाएंगे !!
प्राण भी हो तुम जान भी हो ,
नस- नस मेँ संचार भी हो ,
धड़कते दिल के ताल मेरे ,
साँसों का एहसास भी हो !!
प्रीत भी हो तुम गीत भी हो ,
जीवन का संगीत भी हो ,
सुर मेरे तुम ताल मेरे ,
मधुर कंठ का राग भी हो !!
अनुराग भी हो मेरा प्यार भी हो ,
सपनों का शृंगार भी हो ,
मधुमास मेरे तुम साथ मेरे ,
सावन की बरसात भी हो !!
दोनों का है मिलन अनोखा,
हम ना जुदा हो सकते हैं ,
बंधन है जन्मों -जन्मों का ,
टूट कभी नहीं सकते हैं !!
दोनों का है मिलन अनोखा,
हम ना जुदा हो सकते हैं ,
बंधन है जन्मों जन्मों का ,
टूट कभी नहीं सकते हैं !!
शब्द भी हो तुम आवाज भी हो ,
प्यार की तुम सौगात भी हो ,
प्रिय भी हो प्रियतम भी मेरे ,
अनुरागों का एहसास भी हो !!
प्रीत भी हो तुम गीत भी हो ,
जीवन का संगीत भी हो ,
सुर मेरे तुम ताल मेरे ,
मधुर कंठ का राग भी हो !!
अनुराग भी हो मेरा प्यार भी हो ,
सपनों का शृंगार भी हो ,
मधुमास मेरे तुम साथ मेरे ,
सावन की बरसात भी हो !!
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका