हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए,
चाहकर एक दूजे से मिल ना सके।।
एक अधूरा सा जीवन लिए साथ में,
एक दूरी तलक साथ चलते रहे।
दूरियां फिर मगर ऐसे बढ़ती गईं,
मिलके बिछड़े, मगर फिर से मिल ना सके।
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए, चाहकर एक दूजे से मिल ना सके।।
हर सरल राह चुनकर, तुम्हें सौंपकर,
नाम अपने कठिन राह करते रहे।
तुम सरल राह पाकर के आगे बढ़ी,
हम कठिन राह पर, ज्यादा चल ना सके।
हम तुम एक नदी के दो तट हो गए, चाहकर एक दूजे से मिल ना सके।।
अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश