हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम् …. !
हिन्द के सैनिक प्यारे वतन के, निर्भीक पहरेदार हम।
हैं जुझारू मुश्किलों वाली, करें चुनौती स्वीकार हम।।
कठिनाई के आग पका, लिए कंचन काया धार हम।
मातृभूमि की रक्षा खातिर, मर मिटने को तैयार हम।।
सर्दी गर्मी पतझड़ वारिश, सबका ही सुस्वागतम्।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम्।।
सिमा के प्रहरी सजग वीर हम, देते चोट करारी हैं।
हर आपदाओं से जूझने की, अपनी रहती तैयारी है।।
हैं जाने वाले चले जाते पर, अपनी शहादत आती है।
बनकर प्यारी प्रियतमा, हमें मौत भी गले लगाती है।।
दृढ़संकल्पी हर स्थिति में, निश्चल निर्विकार हम।।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम्।।
कभी सपोले फन जो खोले, हमसे कुचलें जाते हैं।
आंतकी घुसपैठ करे तो, पल में ही मसले जाते हैं।।
गीदड़ भभकी देने वाले, भौंक-भौंक थक जाते हैं।
हमको जो करना होता है, ताल ठोक कर आते हैं।।
घर में घुस कर मारने वाली, आदत से लाचार हम।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम्।।
भारत माँ का भाल झुके ना, कभी किसी भी हाल में।
हिन्द के दुश्मन को चुन-चुन, डालेंगे काल के गाल में।।
भेष भेड़िये वाला जो धरते, रहते बारी बारी से।
भारत हारता है तो केवल, जयचन्दी गद्दारी से।।
धर के दबोचते गर्दन से, जब देखते हैं गद्दार हम।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम्।।
लोगों के विस्वास पात्र हम, सबके दिल मे बसे रहें।
आशाओं की हरेक कसौटी पे, सदा खरे के खरे रहें।।
भारत की जनता को अपने, सेना पर अभिमान हो।
हो फौजी पर सबको भरोसा, यही उचित सम्मान हो।।
प्रकृतिआपदा बाढ़ भूकम्प, में होते तीमारदार हम।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम्।।
घर मे बूढ़े माँ बाबा, जिम्मेदारी उनका निभाना है।
भाई है एक पढ़ने वाला, जिसको खूब पढ़ाना है।।
बहना भी हो रही सयानी, उसका ब्याह रचाना है।
जर्जर हो गिरता मकान, जाकर के उसे बनवाना है।।
पर कर्ज़ चुकेगा पहले यह, हैं इसके कर्ज़दार हम।
हर हालात में अपने जुबाँ पर, रहता वन्देमातरम्।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ११/१२/२०२३)