मेरी मोहब्बत की हर एक फिक्र में।
मेरी मोहब्बत की हर एक फिक्र में बस तू ही है तू।
इसलिए मांगी हर एक दुआ में तेरा जिक्र है जरूर।।1।।
हर जुबां पर जाने कैसे हमारा ये फंसाना आ गया।
यूं तुम्हारी मोहब्बत में कुछ ऐसे हम हुए है मशहूर।।2।।
हर बात पे तुम्हारा यूं इतराना हमे अच्छा लगता है।
अक्सर ही हुस्न वाले अपने आप में होते है मगरुर।।3।।
नाजुक है बड़ा कही इन पैरों में छाले ना पड़ जाए।
थोडा रुक जा फूल बिछा दूं तेरे रास्ते पर मेरे हुजूर।।4।।
तुम्हारे ही ख्वाबों खयालों में रहता हूं सुबह शाम।
हर वक्त ही मुझ पर चढ़ा है जाने कैसा तेरा सुरूर।।5।।
चाह कर भी भूलता नहीं है तुम्हारा ये हंसी चेहरा।
बस अपने इस दिल से मैं हो गया हूं बहुत मजबूर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ