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8 Aug 2020 · 3 min read

हम जवन कहा करी तवन तू माना बलमूं

एक दिन सुबह मैं वार्ड में राउंड लेने के लिए प्रवेश करने जा रहा था तभी ड्यूटी पर उपस्थित स्टाफ नर्स ने मुझे ड्यूटी रूम में लगे कांच के उस पार जनरल वार्ड के अंदर एक कोने वाले बिस्तर पर होने वाले दृश्य की ओर मुझे इशारे से बताया । जब मैंने नजर उठा कर उस ओर देखा तो पाया कि
एक नव विवाहित नवदम्पत्ति का जोड़ा बिस्तर पर था , वह नवयुवती पुरुष की गोद में अपना सिर आराम से रख कर सीधे लेटी हुई थी और उसका पति उसके ऊपर झुका हुआ एक हाथ में अंगूर का गुच्छा लेकर उसमें से एक एक अंगूर तोड़ कर और अपने दांतो से छीलकर उनका छिलका उतार कर उसे खिला रहा था । वह युवती नख शिख पूरे साजो श्रृंगार के साथ उत्सव में जाने वाले जैसे सुंदर परिधानों में थी । वो युगल जोड़ी उस कोने में समय , स्थान तथा आसपास के लोगों की उपस्थिति को भूल कर एक दूसरे की निगाहों में निगाहें डालकर जीवन का आनंद ले रहे थे । यह देख कर मुझे फ़िल्म मुग़ल-ए-आज़म में दिलीप कुमार और मधुबाला के बीच घटित ऐसे ही प्रेम दृश्य की याद ताजा हो गई । मुझे यह दृश्य देखकर अपार प्रसन्नता हुई क्योंकि वह नवयुवती मेरी जिंदगी के उन गिने-चुने मरीज़ों में शामिल होने जा रही थी जो कि शायद पुरानी रखी , गैस उड़ी सल्फास खाने के बाद भी बच जाते हैं ।
यह वही मरीज़ा थी जिसे पिछली शाम को मैंने शून्य ब्लड प्रेशर और ठंडी पड़ी हालत में देखा था और लाक्षणिक उपचार देकर चला आया था । शायद सौभाग्य से इन दोनों का प्यार उसे वापस इस दुनिया में खींच लाया था । मैं वार्ड में राउंड लेने की औपचारिकता पूरी करके वापस ड्यूटी रूम में आ गया कुछ देर बाद उत्सुकता वश मैंने उसके पति को अपने पास बुलाया और अकेले में उससे पूछा
जब तुम दोनों में इतना प्यार है तो कल कल शाम इसने सल्फास की गोली क्यों खाली ?
मेरे इस प्रश्न पर उसके पति ने भरे गले से मुझे बताया कि अभी कुछ हफ्तों पहले ही उन दोनों की शादी हुई है और उन दोनों में कोई मनमुटाव नहीं है , वे दोनों लोग एक दूसरे की बात प्यार एवं सम्मान से मान जाते हैं । वह उसकी पत्नी जो कहती है वह मानता है और ऐसा करने में उसे अच्छा लगता है । कल शाम इन लोगों को किसी विवाह समारोह में आमंत्रित किया गया था । उसकी घरवाली ने उससे कहा कि तुम उस विवाह के समारोह में में नहीं जाओगे । अपनी पत्नी के द्वारा उस शादी में जाने के लिए मना करने के बावजूद रिश्तेदारी निभाने के लिए मैं वहां जाने की जिद पर अड़ा रहा । फिर मैं उसकी बात की अनदेखी करता हुआ उस शादी में चला गया और जब लौटकर आया तब तक यह घर में यह कांड कर चुकी थी ।
फिर जैसी कि मेरी आदत है और मेरी शिक्षा का हिस्सा रहा है मैंने उस नव युवती को छुट्टी से पहले बुलाया और उसके पति की उपस्थिति में उससे पूछा
तुमने सल्फास क्यों खाई ?
वह निरुत्तर हो शांत खड़ी टुकुर टुकुर अपने पति की ओर देखती रही ।
फिर मैंने उसे समझाया कि क्या तुम्हें पता है अगर तुम कल मर जाती तो हो सकता था कि तुम्हारी पूरी ससुराल को जेल हो जाती और यह तुम्हारे प्यारे पतिदेव जो तुम्हारे सामने खड़े हैं वह जिंदगी भर के लिए जेल में सजा काट रहे होते ।
वहफिर भी शांत एवं मौन खड़ी रही ।
चलते समय मैंने उससे फिर प्रश्न पूछा अच्छा यह बताओ क्षणिक आवेश{ impulse } में तुमने जो किया वह सही था या गलत इस पर वह बोली
‘ गलती हो गई ‘
मैंने फिर उससे पूछा
‘ अब कभी ऐसा करोगी ? अब तो तुम्हारे मन में मरने का कोई ख्याल तो नहीं है ?
वह बोली
‘ नहीं ‘
वे दंपत्ति जा चुके थे और मैं उस युवती से कहना चाह रहा था तुमने पहले बिल्ली मार ली !और उसके पति के बारे में सोच रहा था क्या अब यह व्यक्ति अपने शेष वैवाहिक जीवन में में दोबारा कभी अपनी पत्नी के आगे अपने किसी विचार को लेकर अड़ कर खड़ा रह सकेगा ?
कहीं पुरानी यादों में मेरे गोरखपुर प्रवास के दिनों में कभी लाउडस्पीकर पर बजने वाला एक भोजपुरी गीत का मुखड़ा मेरे अंदर प्रतिध्वनि हो उठा
‘ हम जवन कहा करी तवन तू माना बलमूं – – – – – ‘

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 227 Views
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