हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
इस धरा पर कर चुके हैं कई परिवर्तन,
और करा लिया है आज़ाद अपने वतन को,
फिरंगियों की सत्ता से,
अपने वीरों की कुर्बानियां देकर,
बहुत सारा खून बहाकर।
फिर भी बाकी है अभी क्रांति इस धरा पर,
शान्ति के लिए और स्वर्ग बनाने के लिए,
आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक भेदभाव को,
खत्म करने के लिए,
भ्र्ष्टाचार, व्यभिचार और कालाबाजारी को,
मिटाने के लिए,
भाषा, क्षेत्र और रंग के नाम पर,
देश को बंटने से बचाने के लिए।
जरूरत है क्रान्ति की अब भी,
मंदिर, मस्जिद- गुरुद्वारों में प्रार्थनाओं में,
समानता और भाईचारा बढ़ाने के लिए,
इंसानियत का पाठ पढ़ाने के लिए,
शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए,
सभी को सोचना है एक बार फिर से,
क्रान्ति इस देश में लाने के लिए,
हाँ, हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)