हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
तूफानों ने जब पर तोड़ा
नहीं सलामत भी घर छोड़ा,
देख-देख दिल के टुकड़ों को विवश,विकल होके जीते हैं
हम कितने आँसू पीते हैं।
प्रियजन पर नित प्यार लुटाया
सुन्दर निज संसार लुटाया,
तोड़ गये जब रिश्ते – नाते, तन्हा – तन्हा दिन बीते हैं
हम कितने आँसू पीते हैं।
हैं अजस्र आँसू बह जाते
फिर भी तो कुछ हैं रह जाते,
शुष्क नयन के नम कोनों से आँसू कहाँ कभी रीते हैं
हम कितने आँसू पीते हैं।
अनिल मिश्र प्रहरी।