हम ऐसे महानों को लेकर क्या करेंगे? / Dr Musafir Baitha
शरण कुमार लिंबाले विख्यात मराठी दलित लेखक हैं जो अपनी मराठी आत्मकथा ’अक्करमाशी’ के हिंदी में आने के बाद हिंदी बेल्ट में मशहूर हुए।
लिंबाले जी फेसबुक पर हैं और पोस्ट डालने के मामले में ख़ूब सक्रिय हैं।
मैंने नोट किया है कि लिंबाले जी की पिछली लगातार 41 फेसबुक पोस्ट आत्मप्रचार की है, जिनमें उन्होंने साहित्यिक सभा–सम्मेलनों में अपने भाग लेने, भागीदार लेखकों से मिलने, भव्य होटलों में ठहरने और हवाई यात्रा करने की तस्वीरें अथवा ब्यौरे रखे हैं।
समाज चिंता वाली उनकी पोस्ट इन 41 आत्मप्रचार की पोस्टों के बाद मिलती है जिसमें उन्होंने मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को विरोधी तबके के आदिवासियों द्वारा नंगा कर घुमाने के प्रति अपनी चिंता और अपना आक्रोश जाहिर किया है। ऐसा कर मानो उन्होंने अपने आत्मप्रचार की थकान उतारी है।
हम ऐसे महानों को लेकर क्या करेंगे?